जब नरम गुलाबी होंठो से हिम का सा हास बिखर जाये
रसियाते राते गालों पर तन का मधुमास बिखर जाये !
जब सारे शब्दों की भाषा 'हाँ' 'ना' में अटकती हो
अंगो से होकर अंगो तक चन्दन की बास लिपटती हो !
तब नीति नियम सिर पर बोलें, तब दूर क्षितिज पर मन डोले
मुझको तो ऐसे योवन की सौगात असंभव लगती है !!!
mind blowing its unbelievable that its written by you.
ReplyDeleteIt was written by someone else but posted by me....
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