आज उदास हूँ तो ज़माना मुझे पूछने आया ..
मगर जिस पे था सदियों का भरम वो नहीं आया ..
वो तो एक ख्वाब था टूट गया बिखर गया है ..
आज उदास लम्हों में फिर क्यों मुझे वो याद आया ..
ज़िन्दगी की मुसफत के वो चन्द दिन जो गुज़र चुके हैं ..
न ही उन पे उरूज आया ,और न ही उन पे ज़वाल आया ...
भूलना चाहता हूँ हर लम्हा , हर वक़्त जो गुज़र गया है ..
जितना भी रोका वोह वक़्त उतना मेरे साथ चला आया ...
गुज़रा हुआ कल न था मेरा, न है मेरा और न होगा कभी ...
यह में जानता हूँ मगर फिर भी न दिल को करार आया ..
वोह वादे तेरे वोह कसमें वोह सब याद हैं मुझे ...
मगर फिर भी कभी तुम को मेरा दिल न भुला पाया ..
आना पाए थे तुम तो खुद्दार था में भी
यह रिश्ता ही हमारे दरमियाँ न रास आया ..
उस की मुस्कराहट तेरे लिए एक फरेब थी ....
तू था नादां ,दिल तेरा उसे न समझ पाया
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